देश के करोड़ों पेंशनभोगियों की ओर से एक बार फिर मांग की गई है कि 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) की सिफारिशों में वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों और गरिमा का विशेष ध्यान रखा जाए। रेलवे सीनियर सिटिज़न वेलफेयर सोसायटी (RSCWS) ने केंद्र सरकार और वेतन आयोग को ज्ञापन सौंपते हुए पेंशनभोगियों की 6 प्रमुख मांगों को जोरदार ढंग से उठाया है।
वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा और आत्मनिर्भरता का सम्मान ज़रूरी
जो कर्मचारी अपनी जवानी देश की सेवा में लगा चुके हैं, वे आज बुढ़ापे में केवल पेंशन पर निर्भर हैं। ऐसे में उनकी आवश्यकताओं, स्वास्थ्य, और वित्तीय सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। RSCWS द्वारा प्रस्तुत मांगें न सिर्फ तार्किक हैं, बल्कि समय की जरूरत भी हैं।
आइए जानें वो 6 अहम मांगे जो 8वें वेतन आयोग से की गई हैं:
1. पुरानी ‘2700 कैलोरी मॉडल’ पद्धति को बंद किया जाए
पेंशन निर्धारण में इस्तेमाल होने वाला पुराना “2700 कैलोरी” सिद्धांत अब अप्रासंगिक हो चुका है। इसमें न तो महिला पेंशनरों की आवश्यकताओं का ध्यान है और न ही बदलती जीवनशैली का। इस मॉडल को हटाकर सामाजिक और आर्थिक यथार्थ पर आधारित पद्धति अपनाने की मांग की गई है।
2. फिटमेंट फैक्टर में पारदर्शिता और सटीकता
पिछले वेतन आयोग (7वें) में मल्टीप्लायर को 2.57 गुना तय किया गया था, जो व्यवहारिक नहीं था। इससे पेंशनधारकों को PPO संशोधन के लिए वर्षों तक विभागों के चक्कर काटने पड़े। इस बार सटीक डेटा आधारित मल्टीप्लायर तय किया जाए, ताकि इस प्रकार की परेशानियों से बचा जा सके।
3. PPO संशोधन की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत और तेज़ बनाया जाए
अगर किसी कारणवश संशोधित PPO की जरूरत पड़ती है, तो इसे सिर्फ मंत्रालय के भरोसे न छोड़कर, पेंशन वितरण कार्यालयों को अधिकृत किया जाए। उन्हें Pay Band और Grade Pay के साथ Ready Reckoner उपलब्ध कराए जाएं, ताकि प्रक्रिया तेज और सुगम हो सके।
4. अंतरिम राहत (Interim Relief) की तुरंत घोषणा
अगर 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होता है और उसकी रिपोर्ट आने में देर होती है, तो उस अंतराल में पेंशनभोगियों को अंतरिम राहत दी जाए। यह राहत अनुमानित न्यूनतम पेंशन वृद्धि के अनुपात में होनी चाहिए, जिससे बुजुर्गों को आर्थिक संकट से बचाया जा सके।
5. FMA (Fixed Medical Allowance) ₹5,000 प्रति माह किया जाए
वर्तमान में पेंशनरों को ₹1,000 प्रति माह मेडिकल भत्ता मिलता है, जो आज की महंगाई और इलाज के खर्च के सामने बेहद कम है। RSCWS और कई पेंशनभोगी संगठनों ने मांग की है कि FMA को कम से कम ₹5,000 प्रति माह किया जाए, ताकि पेंशनर बिना सरकारी अस्पताल पर निर्भर हुए, अपने इलाज की व्यवस्था कर सकें।
6. 12 वर्ष में कम्युटेशन की पूर्ण बहाली
वर्तमान नियमों के अनुसार, कम्युटेड पेंशन की बहाली 15 वर्ष बाद होती है। लेकिन आज कई राज्य सरकारें और कुछ विभाग इसे 12 वर्ष में बहाल कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि पेंशनरों को राहत देते हुए कम्युटेशन की बहाली 12 वर्षों में की जाए।
निष्कर्ष
RSCWS द्वारा उठाई गई ये मांगें न केवल व्यावहारिक हैं, बल्कि पेंशनभोगियों के आत्म-सम्मान, स्वास्थ्य और वित्तीय स्थिरता से सीधे जुड़ी हुई हैं। अब यह केंद्र सरकार और 8वें वेतन आयोग पर निर्भर करता है कि वह इन मांगों पर समय रहते सकारात्मक निर्णय लेकर वरिष्ठ नागरिकों को वास्तविक सम्मान दे।
18 Mahina ki.bakeya DR ka release turant hona chahiye. Isi muda ko.koi uthata nahin ya Central Government ki taraf se koi thosh bichar abhi tak hua nahin.
I support demand for increase in FMA as the present amount if Rs 1000 is grossly inadequate to commensurate expenses incurred at the prevailing market rates of medicines & consultation..Even thre CGHS has increased consultation fees of doctors payable by cghs benificiary..Demand of Rs 5000 is quite satisfactory & reasonable
इसमें एक ये भी ध्यान देना चाहिए कि वेतन फिक्सिंग के समय बहुत सारे लोग जो कि जुनियर है और अपने से सीनियर से ज्यादा मूल वेतन लें रहे हैं हमेशा से ऐसा होता आया है और फिर कार्मिक विभाग में चक्कर लगाते रहते हैं और उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता हार थक कर कार्मिक अपने भाग्य को कोसता रहता है बस। अतः मेरी आपसे एक यही विनती है मेरे साथ हुआ सो हुआ किसी और के साथ ना हो। धन्यवाद