8वें वेतन आयोग की राह में रोड़, सरकार को अब तक नहीं मिले इच्छुक अफसर

भारत सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया तो शुरू कर दी गई है, लेकिन एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है — सरकार को अब तक आवश्यक चार वरिष्ठ अधिकारी (डिप्टी सेक्रेटरी व डायरेक्टर लेवल) नहीं मिल पाए हैं, जो इस वेतन आयोग में नियुक्त किए जा सकें।

डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग का लेटर हुआ वायरल

12 जून 2025 को भारत सरकार के पेंशन मंत्रालय (DoPT) द्वारा जारी किए गए पत्र में यह साफ देखा गया कि डिपुटेशन पर अधिकारी नियुक्त नहीं हो पा रहे हैं, जिसके चलते आवेदन की समय सीमा 30 जून 2025 तक बढ़ा दी गई है।

यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि अधिकारी शायद 8वें वेतन आयोग में काम करने को लेकर इच्छुक नहीं हैं, और यह चिंता का विषय है क्योंकि इससे आयोग की प्रक्रिया में और देरी संभव है।

अप्रैल से अब तक नहीं हुआ कोई अधिकारी चयन

यह पहली बार नहीं है जब ऐसा पत्र जारी हुआ हो। अप्रैल 2025 में भी एक पत्र जारी किया गया था, परंतु दो महीने बीतने के बाद भी नियुक्ति नहीं हो सकी है। इससे साफ है कि सरकार को मनचाहे स्तर के अधिकारी नहीं मिल पा रहे हैं।

सुझाव: बाय ऑर्डर अधिकारी नियुक्त करें

सरकार को अब बिना देर किए नामित नियुक्ति (By Order Nomination) करनी चाहिए ताकि आयोग का कार्य आगे बढ़ सके। अन्यथा, वेतन आयोग में देरी कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच निराशा का कारण बनती रहेगी।

पेंशन में गड़बड़ी पर पेंशनर की जीत: पीसीडीए को झुकना पड़ा

एक अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दा यह सामने आया है कि सही जानकारी रखने वाले पेंशनर को पीसीडीए (SPARSH) के गलत निर्णय के खिलाफ जीत मिली। कॉर्पोरेल सुशील कुमार श्रीवास्तव जी के पेंशन को गलती से कम कर दिया गया था।

🔹 पहले कम किया गया पेंशन

  • पुराना पेंशन: ₹22,165
  • घटा कर कर दिया गया: ₹20,682
  • रिकवरी भी लगा दी गई और कम भुगतान हुआ।

🔹 फिर मजबूरन नया PPO जारी

जब श्रीवास्तव जी ने संघर्ष किया, तो 17 जून 2025 को पीसीडीए को नया PPO जारी करना पड़ा और उनका पेंशन दोबारा ₹22,165 कर दिया गया।

जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार

अगर आप भी ऐसे मामले का शिकार हैं, तो सैनिक पाठशाला जैसे प्लेटफॉर्म से जुड़ें, सही जानकारी प्राप्त करें और अपने अधिकारों की रक्षा करें।

सावधान: रिकॉर्ड ऑफिस भी कर रहा है गुमराह!

कई पेंशनर्स को ACP (Assured Career Progression) लाभ को लेकर गलत जानकारी दी जा रही है। एक मामला सामने आया जहां पेंशनर की पत्नी को हवलदार रैंक का ACP नहीं देने का आधार गलत तरीके से बताया गया।

गोलमोल जवाब:

रिकॉर्ड ऑफिस ने नायक की प्रोन्नति की तारीख (1995) और सेवानिवृत्ति की तारीख (2004) के बीच ACP लागू नहीं होने का तर्क दिया, जबकि सच्चाई यह है कि अगर सेवा 20 वर्ष से अधिक है तो हवलदार का ACP देना चाहिए।

डिमाइस का पार्ट-2 ऑर्डर: क्यों जरूरी है?

यदि आपके किसी पारिवारिक सदस्य (जैसे पत्नी, माता-पिता) का निधन हो चुका है, तो उसका डिमाइस (मृत्यु) पार्ट-2 ऑर्डर रिकॉर्ड ऑफिस से जरूर करवाएं

क्यों जरूरी?

  • भविष्य में री-मैरिज, पारिवारिक पेंशन, या कानूनी वारिस के क्लेम में दिक्कत आ सकती है।
  • SPARSH पोर्टल में भी डिमाइस डिटेल्स अपडेट करना जरूरी है।
  • इसके बिना कोई भी नया क्लेम या परिवारिक बदलाव मान्य नहीं होगा।

🔚 निष्कर्ष: अब और इंतजार नहीं, कार्रवाई जरूरी!

  • सरकार को 8वें वेतन आयोग में नियुक्तियां तुरंत करनी चाहिए।
  • पेंशनरों को खुद भी जागरूक रहकर स्पर्श, रिकॉर्ड ऑफिस, पीसीडीए से सही हक लेना सीखना होगा।
  • डिमाइस और ACP से जुड़े मामलों में गलत सूचना को चुपचाप स्वीकार न करें, बल्कि ठोस कार्रवाई करें।

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