CGHS में बढ़ती समस्याएं: केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवा पेंशनभोगियों के लिए बनी जी का जंजाल!

केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए शुरू की गई केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (CGHS) एक समय में राहत और भरोसे का नाम हुआ करती थी। लेकिन अब ये योजना खुद एक ब्यूरोक्रेसी की भूलभुलैया बनती जा रही है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) के महासचिव और राष्ट्रीय परिषद (JCM) स्टाफ साइड के वरिष्ठ सदस्य सी. श्रीकुमार ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है।

पेंशनभोगियों के लिए दुःस्वप्न बनती CGHS सेवा

सी. श्रीकुमार के अनुसार, सीजीएचएस धीरे-धीरे एक डरावने अनुभव में बदलती जा रही है। जिन बुजुर्गों ने अपने जीवन के कीमती वर्ष देश की सेवा में लगा दिए, आज उन्हें मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है

  • अधिकतर पेंशनभोगी (लगभग 80%) उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां CGHS की कोई पहुंच नहीं है।
  • उन्हें सिर्फ ₹1,000 मासिक चिकित्सा भत्ता (FMA) मिलता है, जो आज की महंगाई में नाकाफी है।

CGHS केंद्रों की कमी और ओवरलोड सिस्टम

टियर-2 और टियर-3 शहरों में CGHS वेलनेस सेंटर न के बराबर हैं, जिससे पेंशनभोगी खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं।
जहां केंद्र हैं, वहां भी स्थिति बदहाल है:

  • एक डॉक्टर को रोजाना 150 से 200 मरीजों को देखना पड़ता है।
  • इससे जल्दी में परामर्श, गलत निदान और अनावश्यक रेफरल बढ़ रहे हैं।
  • डॉक्टर, नर्स और क्लर्क जैसे जरूरी स्टाफ की कमी गंभीर स्तर पर है।

सूचीबद्ध निजी अस्पतालों का इलाज से इनकार

कई सूचीबद्ध निजी अस्पतालों ने CGHS दरों को अव्यवहारिक बताकर इलाज देने से इनकार करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि:

  • CGHS की दरें बहुत कम हैं।
  • सरकार से भुगतान में महीनों लग जाते हैं।
  • मरीजों पर ब्रांडेड दवाओं या अतिरिक्त सेवाओं के लिए जेब से भुगतान का दबाव डाला जाता है।

यह स्थिति पेंशनर्स की सीमित आय पर बड़ा असर डाल रही है।

तकनीकी बदलाव बना रहा है नई उलझन

हाल ही में CGHS सॉफ्टवेयर को NIC से CDAC में स्थानांतरित किया गया, जिससे:

  • वरिष्ठ नागरिकों को नई प्रणाली समझने में कठिनाई हो रही है।
  • ब्रांडेड दवाओं को बिना मरीज या डॉक्टर की जानकारी के बदल दिया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

संसदीय समिति की सिफारिशें धरी की धरी

संसदीय स्थायी समिति ने जिलों में CGHS केंद्र खोलने, निजी अस्पतालों की दरें सुधारने, ECHS अस्पतालों को भी सूचीबद्ध करने जैसी अहम सिफारिशें की थीं। लेकिन आज तक इनमें से एक भी सिफारिश लागू नहीं की गई

श्रीकुमार के प्रमुख सुझाव: सुधार की राह

सी. श्रीकुमार ने सरकार को कई जरूरी सुझाव दिए हैं, जैसे:

  • 100% कैशलेस इलाज की सुविधा
  • ब्रांडेड दवाओं की गारंटी
  • वरिष्ठों के अनुकूल सॉफ्टवेयर
  • हर जिले में CGHS विस्तार
  • निजी अस्पतालों की सख्त निगरानी

निष्कर्ष: अब वक्त है ठोस कार्रवाई का

CGHS जैसी योजना का उद्देश्य था — देश की सेवा करने वाले कर्मियों और पेंशनभोगियों को सुलभ और गरिमामयी स्वास्थ्य सेवा देना। लेकिन मौजूदा हालात में यह उद्देश्य पीछे छूट गया है।

सरकार को अब निर्णय लेना होगा — क्या वह उन लोगों की गरिमा और स्वास्थ्य का सम्मान करेगी जिन्होंने दशकों तक देश की सेवा की, या उन्हें नौकरशाही की भूलभुलैया में भटकने के लिए छोड़ देगी?

3 thoughts on “CGHS में बढ़ती समस्याएं: केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवा पेंशनभोगियों के लिए बनी जी का जंजाल!”

  1. The CGHS should provide medical services and medicines at home to super senior beneficiaries keeping their inability in reaching the wellness centers. Senior beneficiaries should be allowed to avail Ayushman health benefits along CGHS benefits where CGHS facilities are not available.

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  2. CGHS new scheme effective from 27//04/2025 is apparently a hopeless scheme.Now a ceiling of 5 lac is incorporated in the scheme.For 70 plus pensioners scheme is at par with Ayushman scheme which covers all Indians.It appears that Government of the day is genuinely not interested in health services of Pensioners.

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  3. Cghs की सेवाओं में सुधार के लिए जरूरी है कि चिकित्सक का स्थानांतरण एक शहर से दूसरे शहरों में आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए

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