हाल ही में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों ने DA और न्यूनतम पेंशन को लेकर केंद्र सरकार से यह महत्वपूर्ण सवाल किया कि:
“क्या सरकार न्यूनतम पेंशन की राशि बढ़ाने पर विचार कर रही है, जब कि पेंशन बजट लगातार बढ़ रहा है?” इसके साथ ही पूछा गया कि वर्ष 2024-25 के दौरान केंद्र सरकार ने पेंशनरों और उनके परिवारों पर इतना खर्च किया:
इस सवाल के जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जो जानकारी साझा की, उसने मौजूदा पेंशन व्यवस्था की वास्तविक स्थिति को स्पष्ट कर दिया।
आंकड़े जो चौंकाते हैं: 44.81 लाख पेंशनभोगी, ₹2.41 लाख करोड़ से अधिक व्यय
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, वर्ष 2024-25 के दौरान केंद्र सरकार ने निम्नलिखित विभागों के पेंशनरों और उनके परिवारों पर इतना खर्च किया:
विभाग | कुल पेंशनभोगी | पारिवारिक पेंशनभोगी | कुल व्यय (₹ करोड़) |
---|---|---|---|
सिविल | 7,80,509 | 3,61,476 | ₹40,811.28 |
रक्षा | 23,31,388 | 8,35,043 | ₹1,25,269.42 |
दूरसंचार | 3,17,992 | 1,20,766 | ₹12,448.00 |
रेलवे | 8,56,058 | 6,69,710 | ₹55,034.00 |
डाक विभाग | 1,95,298 | 1,06,467 | ₹8,214.85 |
कुल | 4,48,12,245 | 2,09,34,662 | ₹2,41,777.55 |
💬 ये आंकड़े केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय, रक्षा लेखा महानियंत्रक, रेलवे बोर्ड, डाक एवं दूरसंचार विभाग से संकलित किए गए हैं।
न्यूनतम पेंशन पर सरकार का रुख क्या है?
- वर्तमान न्यूनतम पेंशन: ₹9000 प्रति माह (पारिवारिक पेंशन भी इतनी ही)
- क्या यह बढ़ेगी? नहीं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से बताया गया कि फिलहाल इसे बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
- मूल्य समायोजन कैसे होता है? केवल महंगाई राहत (Dearness Relief) के ज़रिए समय-समय पर संशोधन किया जाता है।
क्या पेंशनभोगियों के लिए यह चिंता की बात है?
जी हाँ। ₹9000 प्रति माह की न्यूनतम पेंशन में जीवनयापन करना आज की महंगाई में अत्यंत कठिन है।
विशेषकर जब सरकार स्वयं स्वीकारती है कि:
“पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों की संख्या 6 करोड़ के करीब पहुँच रही है, और बजट साल दर साल बढ़ रहा है।”
इसके बावजूद मूलभूत पेंशन राशि वर्षों से अपरिवर्तित बनी हुई है।
अब आगे क्या?
संभावित पहल | क्या हो सकता है? |
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💡 DR दरों में परिवर्तन | DR की दरों में 6 महीने की समीक्षा के बजाय 3 महीने पर समीक्षा की व्यवस्था लाई जा सकती है। |
💡 न्यूनतम पेंशन पुनर्निर्धारण | सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद अब आठवें वेतन आयोग की तैयारी शुरू हो चुकी है—इसमें पेंशनरों की न्यूनतम पेंशन बढ़ेगी। |
💡 श्रेणीवार पेंशन नीति | बुजुर्गों, विकलांगों और विधवाओं के लिए अतिरिक्त स्लैब पेंशन व्यवस्था लाई जा सकती है। |
निष्कर्ष: पेंशनरों के लिए राहत अभी दूर
जब सरकार का पेंशन बजट ₹2.41 लाख करोड़ तक पहुँच चुका है, तब ₹9000 की पेंशन असंगत और अपर्याप्त प्रतीत होती है। हालांकि सरकार महंगाई राहत देती रही है, परंतु मूल पेंशन में संशोधन का कोई संकेत नहीं दिया गया है।
पेंशनर्स संगठनों को अब और अधिक मजबूती से अपनी आवाज़ उठानी होगी ताकि सरकार इस विषय पर फिर से विचार करे।

मेरा नाम एन. डी. यादव है। मुझे लेखन के क्षेत्र में 6 वर्षों का अनुभव है। मैंने अपने लेखनी के दौरान सरकारी नीतियों, कर्मचारियों और पेन्शनभोगियो के लाभ, पेंशन योजनाओं और जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों को आप तक सरल और स्पष्ट भाषा में पहुंचाने का कार्य किया है।
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