“मैंने इस देश की सेवा भारतीय वायुसेना में पूरे 10 वर्ष 6 महीने तक की। इसके बाद भी 17 साल तक निजी क्षेत्र में कार्यरत रहा। आज जब मेरी उम्र इस पड़ाव पर पहुंच चुकी है, तो मुझे कुल ₹2279/- की मामूली पेंशन मिल रही है।”
— यह कहना है श्री के. एस. राठी का, जो आज भी अपनी पत्नी और बुजुर्ग मां की देखभाल करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
देश की सेवा के बाद भी ये हाल?
“ना मुझे वायुसेना से पेंशन मिली, और निजी क्षेत्र से जो मिल रही है, वो इतनी कम है कि दवा, राशन, बिजली, किराया जैसी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं।”
— के. एस. राठी
जब एक पूर्व सैनिक, जिसने अपने जीवन का स्वर्णिम समय देश को समर्पित किया, उसे इतनी न्यूनतम पेंशन मिलती है, तो यह देश के लिए शर्म की बात है।
नेता को तीन-तीन पेंशन, हमें एक जीने लायक भी नहीं?
श्री राठी का सवाल सीधा और तर्कपूर्ण है:
“एक राजनीतिक व्यक्ति को तो महज़ शपथ लेने के बाद ही तीन-तीन पेंशन, मुफ्त चिकित्सा, आवास और सुविधाएं मिलती हैं।
लेकिन हम जैसे देशभक्त, जिन्होंने वर्दी पहनकर राष्ट्र की सेवा की, और फिर निजी क्षेत्र में टैक्स चुकाते रहे — उन्हें क्या मिला?”
क्या यह सामाजिक और आर्थिक न्याय है?
क्या वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल सरकार का दायित्व नहीं?
“मैंने जीवन भर टैक्स दिए — इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स और न जाने कितने और कर। क्या अब यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती कि मेरी बुजुर्ग अवस्था में मुझे कम-से-कम सम्मानजनक जीवन जीने का साधन मिले?”
— श्री के. एस. राठी
श्री राठी की प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री से मांग:
“प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और वित्त मंत्री से मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि हमें भी वही पेंशन सुविधाएं दी जाएं, जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलती हैं।
क्योंकि हमने भी राष्ट्र की सेवा की है, और टैक्स भरने में कभी पीछे नहीं हटे।”
निष्कर्ष: अब हमारी भी सुनवाई हो
श्री के. एस. राठी की यह आवाज़ सिर्फ उनकी नहीं है, बल्कि देश के हज़ारों-लाखों ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की भी है, जो सरकार की नीतियों में कहीं पीछे छूट गए हैं।
अब वक्त है कि सरकार “सबका साथ, सबका विकास” के वादे को वास्तव में साबित करे।
आप क्या कर सकते हैं?
यदि आप भी श्री राठी जी की बातों से सहमत हैं, तो इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि यह अपील प्रधानमंत्री कार्यालय और संबंधित मंत्रालयों तक पहुँचे।

मेरा नाम एन. डी. यादव है। मुझे लेखन के क्षेत्र में 6 वर्षों का अनुभव है। मैंने अपने लेखनी के दौरान सरकारी नीतियों, कर्मचारियों और पेन्शनभोगियो के लाभ, पेंशन योजनाओं और जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों को आप तक सरल और स्पष्ट भाषा में पहुंचाने का कार्य किया है।
मेरे लेखों का उद्देश्य लोगों को सही, सटीक और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना है। मैं अपने लेख में हमेशा यह प्रयास करता हूं कि भाषा सरल हो, जानकारी उपयोगी हो और पाठक को किसी भी विषय को समझने में कठिनाई न हो।
I agree
Try soon.65.70.75.80.year5%pension.add.
Mr Rathi Ji is right. There are lakhs of people who have served public sector for thirty forty years are also getting meager pension of two thousand or so pm. Govt must consider minimum pension of 9000 pm which is paid to Central Govt pensioners PSU retirees also.
Rathi ji is Right