Commutation: भारतीय रेलवे मंत्रालय ने पेंशनरों की लंबे समय से चल रही मांगों और न्यायालयों में लंबित मामलों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। यह आदेश उन रेलवे पेंशनरों से संबंधित है, जिन्होंने अपनी पेंशन का एक हिस्सा कम्यूट कराया था और अब 15 साल की अवधि पूरी होने से पहले उसकी बहाली की मांग कर रहे हैं।
Commutation का क्या है मामला?
कई रेलवे पेंशनरों और विभिन्न एसोसिएशनों ने रेलवे बोर्ड को अनुरोध भेजकर स्पष्टता मांगी थी कि क्या कम्यूटेड पेंशन 15 साल पूरे होने से पहले बहाल की जा सकती है। इसके अलावा, कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने अदालतों में भी इस विषय पर याचिकाएं दायर की हैं।
रेलवे बोर्ड का निर्णय
रेलवे बोर्ड ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पेंशन मामलों से संबंधित नोडल विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर (DOP&PW) से परामर्श लिया। DOP&PW ने स्पष्ट किया कि:
- सुप्रीम कोर्ट के 1986 के फैसले के अनुसार, कम्यूटेशन की अवधि 15 वर्ष तय की गई थी।
- दिल्ली हाई कोर्ट के 2019 के निर्णय में कहा गया कि पेंशन और कम्यूटेशन से जुड़े मामले नीति-निर्माण से संबंधित होते हैं और इन्हें सरकारी आयोगों की सिफारिशों के आधार पर तय किया जाता है।
- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 2024 के आदेश में, 12 वर्ष के भीतर कम्यूटेड पेंशन बहाल करने की मांग से जुड़े मामलों पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया।
रेलवे पेंशनरों के लिए क्या है निर्देश?
रेलवे बोर्ड ने सभी ज़ोनल रेलवे और प्रोडक्शन यूनिट्स को निर्देश दिया है कि:
- वे अदालतों में दायर याचिकाओं में रेलवे का पक्ष मजबूती से रखें।
- 15 साल की अवधि पूरी होने से पहले कम्यूटेड पेंशन की बहाली की मांग को स्वीकार न किया जाए।
- इस संदर्भ में प्राप्त होने वाले अन्य अनुरोधों का भी निपटारा इसी आधार पर किया जाए।
पेंशनरों के लिए इसका क्या असर होगा?
इस आदेश के बाद, उन पेंशनरों को झटका लग सकता है जो 15 वर्ष की समय-सीमा पूरी होने से पहले अपनी पूरी पेंशन की बहाली की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि, यह निर्णय रेलवे बोर्ड द्वारा कानूनी परामर्श और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
निष्कर्ष
रेलवे मंत्रालय का यह आदेश यह स्पष्ट करता है कि जब तक कोई नई नीति या संशोधित निर्देश नहीं आते, तब तक रेलवे पेंशनरों को अपनी कम्यूटेड पेंशन की बहाली के लिए 15 वर्ष की न्यूनतम अवधि का पालन करना ही होगा। इससे पहले पेंशन बहाली की किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया जाएगा।