केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए एक बार फिर से अनिश्चितता का माहौल बनता जा रहा है। आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन की प्रक्रिया में हो रही देरी ने पेंशनर्स की चिंता बढ़ा दी है।
टर्म्स ऑफ रेफरेंस और चेयरमैन की नियुक्ति अब भी अधर में
जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा तो की थी, लेकिन अब तक इसके Terms of Reference (ToR) यानी कार्य क्षेत्र तय नहीं हो पाए हैं। साथ ही आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति पर भी कोई स्पष्टता नहीं है।
इस देरी से पेंशनरों और कर्मचारियों दोनों में असमंजस की स्थिति बन गई है। खासकर इसलिए क्योंकि पिछली वेतन आयोग समितियों की सिफारिशों को लागू करने में 2 साल से भी ज्यादा का समय लग चुका है।
भारत पेंशनर्स समाज ने उठाई आवाज
देश भर के पेंशनभोगियों की सबसे पुरानी और बड़ी संस्था भारत पेंशनर्स समाज (Bharat Pensioners Samaj – BPS) ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। BPS ने वित्त मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय (DoPT) को पत्र लिखकर त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
पत्र में साफ लिखा गया है कि,
“जबसे आयोग की घोषणा हुई है, तबसे लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कार्य क्षेत्र तय नहीं हुआ है, और न ही चेयरमैन व अन्य सदस्यों की घोषणा की गई है। इससे पेंशनर्स के बीच भ्रम और तनाव बढ़ रहा है।”
अफवाहों का बाजार गर्म, सोशल मीडिया पर फैल रही गलत जानकारियां
BPS ने चेताया है कि इस देरी के चलते सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर कई भ्रामक बातें फैल रही हैं, जिससे पेंशनरों का मनोबल प्रभावित हो रहा है। लोग नकारात्मक खबरों से परेशान हैं और सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।
BPS की तीन अहम मांगें
भारत पेंशनर्स समाज ने सरकार से तीन अहम कदम तुरंत उठाने की मांग की है:
- आयोग के कार्य क्षेत्र (ToR) को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाए
- आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति शीघ्र की जाए
- आयोग में पेंशनर्स के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाए
संस्था का कहना है कि अगर इन मांगों पर पारदर्शिता के साथ कदम उठाए जाते हैं, तो पेंशनरों और कर्मचारियों में भरोसा बहाल होगा और आयोग समय पर अपनी रिपोर्ट सौंप सकेगा।
कर्मचारी संगठन भी कर चुके हैं विरोध
केवल पेंशनर्स ही नहीं, बल्कि कई कर्मचारी यूनियनों ने भी इस देरी पर नाराजगी जताई है। यूनियनों का कहना है कि 6ठे और 7वें वेतन आयोग को भी अपनी रिपोर्ट देने में 18 से 24 महीने लगे थे। ऐसे में अगर प्रक्रिया अब भी शुरू नहीं हुई, तो इसकी सिफारिशों का लाभ शायद 2027 तक ही मिल पाएगा।
अब आगे क्या?
अब सबकी निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या वित्त मंत्रालय जल्दी से ToR को मंजूरी देगा? क्या आयोग की रूपरेखा पर कोई घोषणा होगी?
पेंशनर्स और कर्मचारियों को इस बार फिर उम्मीद है कि सरकार समय गंवाए बिना कार्यवाही करेगी और पारदर्शिता के साथ इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
निष्कर्ष
वर्तमान में स्थिति असमंजस भरी जरूर है, लेकिन भारत पेंशनर्स समाज जैसी संस्थाओं की सक्रियता ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। अब सरकार पर निर्भर है कि वह कब और कैसे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर पेंशनर्स को भरोसा दिलाती है।

मेरा नाम एन. डी. यादव है। मुझे लेखन के क्षेत्र में 6 वर्षों का अनुभव है। मैंने अपने लेखनी के दौरान सरकारी नीतियों, कर्मचारियों और पेन्शनभोगियो के लाभ, पेंशन योजनाओं और जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों को आप तक सरल और स्पष्ट भाषा में पहुंचाने का कार्य किया है।
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