जैसा कि आपको पता होगा केंद्र सरकार ने पेंशन बिल 2025 लोकसभा में पेश किया गया। इसमें पेंशन में परिवर्तन भी शामिल है। उसके बाद पेंशनभोगियों में उहाफोह की स्थिति है कि कही सरकार हमारी पेंशन को कम ना कर दे। उसी को लेकर भारत पेंशनर्स समाज की ओर से श्री एस.सी. महेश्वरी ने एक लेटर पीएम मोदी को लिखा है। तो इस लेटर में क्या है पूरी जानकारी आपको इस लेख से दी जाएगी।
भारत पेंशनर्स समाज (BPS) ने फाइनेंस बिल 2025 के भाग IV में किए गए परिवर्तनों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इस अधिनियम के कुछ प्रावधान सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं।
पेंशन: कानूनी अधिकार या सरकारी अनुदान?
सर्वोच्च न्यायालय ने डी.एस. नक़ारा बनाम भारत सरकार (1982) के फैसले में स्पष्ट किया कि पेंशन कोई दान नहीं, बल्कि एक संवैधानिक अधिकार है। यह सेवा के बदले दिया जाने वाला एक लाभ है, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सम्मानजनक जीवन मिल सके।
संविधान के अनुच्छेद 21 और 14 का उल्लंघन?
अनुच्छेद 21: यह प्रत्येक नागरिक को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार देता है, जिसमें पेंशन भी शामिल है।
अनुच्छेद 14: यह सभी को समानता का अधिकार देता है, लेकिन यदि वित्त अधिनियम 2025 पेंशनधारकों के साथ भेदभाव करता है, तो यह इस अनुच्छेद का उल्लंघन होगा।
वित्त अधिनियम 2025, भाग IV पर प्रमुख आपत्तियाँ
पेंशन कोष पर संभावित प्रतिबंध: समेकित निधि से पेंशन फंड प्रबंधन पर नए नियम लगाए गए हैं, जिससे पेंशन मिलने में देरी हो सकती है।
संभावित वित्तीय कटौती: यदि सरकार वित्तीय संकट का हवाला देकर पेंशन राशि में कटौती करती है, तो यह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन होगा।
असमानता और भेदभाव: यदि इस अधिनियम से कुछ पेंशनर्स को नुकसान होता है, जबकि अन्य को नहीं, तो यह असंवैधानिक होगा।
पेंशनभोगियों की मांगें
वित्त अधिनियम 2025, भाग IV की पुनः समीक्षा हो।
पेंशन को लेकर पारदर्शी नीति बनाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का सम्मान करते हुए कोई भी बदलाव किया जाए।
सरकार से अपील
भारत पेंशनर्स समाज केंद्र सरकार से अपील करता है कि वह इस अधिनियम के विवादास्पद प्रावधानों की समीक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि देशभर के पेंशनधारकों के अधिकार सुरक्षित रहें।