नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने हिमाचल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की खंडपीठ ने हिमाचल हाईकोर्ट के 8 अगस्त 2024 को पारित आदेश पर रोक लगाई है। इस आदेश में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 58 से 60 वर्ष करने के निर्देश दिए गए थे।
शीर्ष अदालत ने मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह निर्णय सरकार और कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सेवानिवृत्ति संबंधी नीति को प्रभावित करता है।
उच्च शिक्षा निदेशालय का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उप निदेशकों को पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की रोक जारी रहेगी, तब तक 58 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले किसी भी कर्मचारी को सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा।
हिमाचल हाईकोर्ट का पुराना आदेश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार की 21 फरवरी 2018 की अधिसूचना को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि यह अधिसूचना 10 मई 2001 से पहले और उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के बीच भेदभाव करती है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में आदेश दिया था कि जिन कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु से पहले सेवानिवृत्त कर दिया गया था, उन्हें पुनः बहाल किया जाए।
कर्मचारियों पर प्रभाव
इस आदेश के बाद हिमाचल प्रदेश में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पहले कुछ विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त किया जाता था, लेकिन हाल ही में उनकी रिटायरमेंट 58 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद की जाने लगी थी।
अब, सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण सरकार को इस मामले में नई रणनीति बनानी होगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हिमाचल प्रदेश के हजारों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति नियमों पर असर पड़ा है। अब आगे की स्थिति इस पर निर्भर करेगी कि कोर्ट इस मामले में अंतिम निर्णय क्या लेती है।