हम सभी जानते हैं कि पेंशन कोई दया या खैरात नहीं है—यह हमारा संवैधानिक और नैतिक अधिकार है। लेकिन क्या यह अधिकार EPS-95 पेंशनभोगियों को अपने आप मिल गया? नहीं! हर कदम पर संघर्ष, अनदेखी और उपेक्षा का सामना करना पड़ा है। अब वक्त आ गया है जब EPS-95 पेंशनधारक यह सवाल खुद से पूछें:
“क्या हम अपना अधिकार मांग रहे हैं, या केवल भीख?”
EPS-95 पेंशन: आज की जमीनी हकीकत
देशभर में EPS-95 पेंशनधारक बेहद कम पेंशन में जीवन जीने को मजबूर हैं। महंगाई बढ़ती जा रही है, लेकिन पेंशन वही की वही। हालात ऐसे हैं कि न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये में गुजारा करना एक विडंबना बन चुका है।
EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) के अधिकारी अक्सर नियमों और आदेशों का हवाला देते हैं, लेकिन असली निर्णय कहीं और लिए जाते हैं। उच्च स्तर पर बैठे नीति-निर्माताओं की निष्क्रियता ने लाखों पेंशनधारकों को निराश कर रखा है।
क्या न्याय के लिए सिर्फ कोर्ट का ही सहारा?
सुप्रीम कोर्ट में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भी अभी तक EPS-95 पेंशनभोगियों को राहत नहीं मिल पाई है। क्या वाकई न्यायालय ही एकमात्र रास्ता है? नहीं! असली ताकत संगठित जनआंदोलन में है। जब तक हम एक मंच पर एकजुट होकर अपनी आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक सरकारें सुनने का नाटक करती रहेंगी।
एक मंच, एक आवाज: कब आएगा वह दिन?
आज सैकड़ों संगठन अलग-अलग स्तर पर EPS पेंशन सुधार की मांग कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है—क्या बिखरी आवाज़ों से कोई बड़ी जीत हासिल की जा सकती है? अगर सभी संगठन एक मंच पर आकर एकजुट हों, तो सरकार को झुकाना मुश्किल नहीं। लेकिन अफसोस की बात है कि कुछ व्यक्तिगत स्वार्थ और अहंकार आज भी एकता के रास्ते में दीवार बने हुए हैं।
क्या हम खुद अपनी कमजोरी बन चुके हैं?
‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अंग्रेजों की विरासत रही है, लेकिन आज हम स्वयं ही इस रणनीति का शिकार हो चुके हैं। सरकार को हमें बाँटने की जरूरत नहीं—हम खुद ही बंटे हुए हैं। जब तक EPS-95 पेंशनधारक एक-दूसरे से दूरी बनाए रखेंगे, तब तक हमारा संघर्ष केवल एक दिखावा बनकर रह जाएगा।
अब वक्त है सोच और रणनीति बदलने का
हमें यह समझना होगा कि अकेले लड़ाई लड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा। अब समय है कि सभी संगठन, नेता और पेंशनधारक राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर एक साझा मंच बनाएं और सरकार से मिलकर स्पष्ट और ठोस मांग रखें:
- न्यूनतम पेंशन ₹7,500 प्रति माह
- महंगाई भत्ता (DA) का नियमित भुगतान
- EPS-95 नियमों में पारदर्शिता और समानता
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पूर्ण पालन
आइए, एकजुट होकर इतिहास रचें
यह सिर्फ पेंशन की लड़ाई नहीं है—यह सम्मान, आत्मनिर्भरता और गरिमा की लड़ाई है। यदि आज भी हम चुप रहे, तो अगली पीढ़ी हमें सिर्फ एक उदाहरण के रूप में याद करेगी, न कि प्रेरणा के रूप में।
अब फैसला आपके हाथ में है—क्या आप भी इतिहास का हिस्सा बनना चाहेंगे, या भीड़ में खो जाना पसंद करेंगे?
Nai pension kab se Lagu Hogi aur kab se milegi
MODIJI AND HIS GOVT. IS DEAF ABOUT OUR SUFFERINGS. SO OUR NAC’S AGITATION DOES NOT ENTER HIS EARS. NAC SHOULD START AGITATION MORE VIGOROUSLY SO THAT MODIJI ‘S GOVT. IS SHAKED. WE ARE WITH ASHOK RAWATJI . LONG LIVE NAC AND AND ALL EPS95 PENSIONERS.
मैंने १८साल टीचर की नौकरी की लेकिन पेंशन सिर्फ मिलती है ९६७रू।
इतने पैसे में एक सप्ताह भी मुश्किल निकलता
सरकार को इतना तो सोचना चाहिए कि इस उम्र में हम खाना खाने के लिए कहा ठोकरें खाएंगे।
बरोबर
Yolu have Rightly said. Government understands well we are Insignificant by Numbers for them and can’t be of any support. When it comes to increase their Salaries and Pensions they increase it in a Single stroke of 24% and more.
BJP government kawal paise wali ki sunti hai unko gharib se koi matlab nahi neta logo ka pat nahi kuwa hai jitna bhi milye kam hai unko Ko hamare 1000 rs be bahut lagte hai ki ye log to itna be bahut mil raha hai jay ho modi ji or unki government ko
Ek hi rasta baki hai bjp bhagao
मैंने 25 साल प्राइवेट नौकरी की 2300 रूपया पेंशन मिल रही है। 3 लोग हैँ। क्या होगा।
Vaktavya bahut achcha Diya gaya hai. Ko itna Divas nahin karna chahie ki andruni hamare Desh mein karmchariyon ki krantika mahaul dekhne Mili Jay Hind Jay Bharat
मुझे भी बहुत इन्तजार है कि कव पैसन बढ़ेगी और घर का खर्चा सही ढंग से चला पाऊं, इस पैसन से तो घर का दुध भी नहीं आता है,दाल रोटी तो दुर की वात है। अतः मेरा सरकार से निवेदन है कि हमारी पैसन अति शीघ्र बढ़ाने का कष्ट करें। आप की अति कृपा होगी,। धन्यवाद,
Govt is not bothered for senior citizen eps95 pension private sector
As we are facing problem for medicine and other expenses how we manage our exp inRs1000 per month God knows what will happened and what is our future on
The other hand govt employed and
Politician are enjoying in our vountry
In one small Meeting of our Finance Minister they pay More than Rs.1000.00 .She have no care for more than 60 years old pensioner how they can purchase Medicine with Rs. 1000.00. She will distribute freebeeies where BJP will get vote. She will never increase pension .These pensioners are not vote Bank.
बीजेपी सरकार कुछ नहीं करेगी
सब पेन्शन धारक एक होके मिलजुल के लढना चाहिए
एक ही रास्ता बचा है अब इस सरकार को हटाओ
Sir 1000 rupyee too auto wala hee le leta hi bank Jane fir ky nanga nahegaa aur ky nichoodega Sarkar bhi khub majaak kartee hi pvt pension dahrko per.kirpyaa jald se jald ye rule change karee.
Ab kaun kaun vote daale ga BJP ko, dumb and duff go t