भारत में उम्र के 60 पार कर चुके Senior Citizen की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उनके साथ होने वाला व्यवहार और हालात अक्सर बेहद चिंताजनक होते हैं। आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से निर्भर ये बुज़ुर्ग कई बार अपने ही परिवारों के हाथों अपमान, उपेक्षा और हिंसा का शिकार हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी और दिशा-निर्देश
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में डॉ. अश्विनी कुमार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में Senior Citizen के अधिकारों की रक्षा के लिए अहम निर्देश दिए। यह केस अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल किया गया था, जिसमें बुजुर्गों के “सम्मानपूर्वक जीवन के अधिकार” (Right to Dignity under Article 21) को सुरक्षित रखने की मांग की गई थी। कोर्ट ने सरकार से बेहतर पेंशन स्कीम, हेल्थकेयर, आश्रय और सुरक्षा की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने को कहा।
भारत में एल्डर अब्यूज के आंकड़े डराने वाले हैं
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 9.6% से लेकर 61.7% तक सीनियर सिटीज़न किसी न किसी रूप में अत्याचार का शिकार होते हैं। खासकर शहरी इलाकों और मिडिल क्लास परिवारों में बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो अक्सर रिपोर्ट भी नहीं की जातीं।
कुछ वास्तविक घटनाएं जो रुला देती हैं
- बेंगलुरु का मामला:
एक बुज़ुर्ग दंपती — माँ कैंसर सर्वाइवर, पिता हार्ट पेशेंट — को उनकी ही बहू जो पेशे से डॉक्टर है, रोज़ाना प्रताड़ित करती थी। हद तो तब हो गई जब बहू ने घर में 10–15 लोगों को बुलाकर 70 वर्षीय महिला को जबरन वृद्धाश्रम भेजने की कोशिश की और उन्हें बाल पकड़ कर घसीटा गया। - ग्वालियर का मामला:
70 वर्षीय सरला बत्रा अपनी बहू के हाथों शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की शिकार हुईं। जब उनके बेटे विशाल ने मां को वृद्धाश्रम भेजने से इनकार किया, तो बहू ने अपने भाई को बुलाकर विशाल की पिटाई करवाई और सरला जी को भी बाल पकड़कर जमीन पर घसीटा गया। बाद में पुलिस स्टेशन में CCTV फुटेज और शिकायत दर्ज की गई।
अब्यूज के प्रकार और आंकड़े
प्रकार | प्रतिशत | रिपोर्टिंग संख्या |
---|---|---|
इमोशनल अब्यूज | 11.1% | 40 लोग |
वर्बल अब्यूज | 6.9% | 25 लोग |
फाइनेंशियल अब्यूज | 4.2% | 15 लोग |
फिजिकल अब्यूज | 3.3% | 12 लोग |
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकतर अब्यूज बेटे और बहुओं द्वारा किया जा रहा है, यानी जिन पर भरोसा किया जाता है वही भरोसा तोड़ते हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार के मुख्य कारण
- आर्थिक निर्भरता: जब बुज़ुर्ग पैसों के लिए परिवार पर निर्भर होते हैं, तो उन्हें बोझ समझा जाने लगता है।
- संपत्ति का लालच: बच्चों द्वारा माता-पिता को उनकी संपत्ति के लिए प्रताड़ित करना।
- लापरवाही: स्वास्थ्य, भोजन और दवा जैसी मूलभूत जरूरतों की अनदेखी।
- मानसिक बीमारी: डिप्रेशन या डिमेंशिया से पीड़ित बुज़ुर्गों के व्यवहार को न समझ पाना।
- पीढ़ियों की दूरी: न्यूक्लियर फैमिली के बढ़ने से संयुक्त परिवार की परंपरा कमजोर पड़ी है।
- नशा और हिंसा: शराब और नशे के कारण परिवार के सदस्य बुज़ुर्गों पर अत्याचार करते हैं।
- कानूनी जानकारी की कमी: बुज़ुर्गों को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं होती, जिससे वे चुप रह जाते हैं।
क्या करें अगर आप या आपके जानने वाले किसी सीनियर सिटीज़न पर अत्याचार हो रहा हो?
- एनजीओ से संपर्क करें – कई संस्थाएं बुज़ुर्गों के अधिकार के लिए काम करती हैं।
- कानूनी सलाह लें – वकील से संपर्क करें और सारा मामला विस्तार से बताएं।
- सबूत जमा करें – हर घटना को रिकॉर्ड करें, SMS, ईमेल या व्हाट्सएप पर डिटेल रखें।
- पुलिस की मदद लें – सीधे SP या DSP स्तर तक पहुंचें।
- सुरक्षित स्थान पर जाएं – अत्याचार के घर से निकलकर किसी भरोसेमंद रिश्तेदार के पास शरण लें।
निष्कर्ष:
भारत में सीनियर सिटीज़नों की आबादी 2025 तक 140 मिलियन से अधिक हो चुकी है, और 2031 तक यह संख्या 194 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। यह वक्त है कि हम केवल वृद्धाश्रम नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक जीवन व्यवस्था बनाएं जहां माता-पिता को ‘बोझ’ नहीं, ‘आशीर्वाद’ समझा जाए।
हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम सीनियर सिटीज़नों की गरिमा की रक्षा करें, उनके साथ अन्याय के खिलाफ खड़े हों और उन्हें वह सम्मान दें जिसके वे हकदार हैं।