PPO में नाम जोड़ने की अब अनिवार्यता नहीं, पारिवारिक पेंशन में बड़ा बदलाव

बिहार सरकार ने पेंशनरों और उनके परिवारजनों के हित में एक बहुत ही मानवीय और राहत देने वाला फैसला लिया है। अब सेवानिवृत्त कर्मचारी की विधवा बेटी, तलाकशुदा या अविवाहित पुत्री तथा दिव्यांग आश्रित संतान को पारिवारिक पेंशन के दायरे में लाने के लिए PPO (पेंशन भुगतान आदेश) में नाम जोड़वाने की कोई बाध्यता नहीं रही।

यह निर्णय न सिर्फ प्रक्रियात्मक जटिलताओं को सरल करता है बल्कि हजारों असहाय परिजनों को समय पर न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अब तक की स्थिति:

  • PPO निर्गत होते समय केवल उन्हीं पारिवारिक सदस्यों के नाम जोड़े जाते हैं जो तत्काल उस समय पेंशन के लिए पात्र होते हैं।
  • लेकिन पात्रता (Eligibility) एक परिवर्तनशील स्थिति है, यानी:
    • कोई सदस्य PPO में होने के बावजूद बाद में अपात्र हो सकता है।
    • या PPO में नाम नहीं होते हुए भी भविष्य में पात्र हो सकता है।

पेंशन प्रणाली से जुड़ी पुरानी दिक्कतें

अब तक जब कोई पेंशनर या उनके जीवनसाथी अपने किसी आश्रित संतान (विशेषकर तलाकशुदा पुत्री या दिव्यांग संतान) का नाम PPO में शामिल करवाना चाहते थे, तो इसमें महीनों लग जाते थे। कार्यालयों में स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने के कारण आवेदन लटकाए जाते थे। पेंशनर बार-बार चक्कर लगाते थे और अंततः कई बार न्याय से वंचित रह जाते थे।

अब क्या बदला है?

बिहार सरकार के महालेखाकार (पेंशन), पटना द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार:

अब PPO में नाम जोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है।
यदि पेंशनर या उनके जीवनसाथी द्वारा जीवनकाल में अपने आश्रित पुत्री/संतान के लिए आवेदन किया जाता है, तो महज़ एक पावती (Acknowledgement) ही पर्याप्त मानी जाएगी। PPO में संशोधन करने की आवश्यकता नहीं है।

यह नीति भारत सरकार के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 22.06.2010 के अनुरूप है।

🔹 किन्हें मिलेगा लाभ?

1. विधवा/तलाकशुदा/अविवाहित पुत्री:

  • यदि वे 25 वर्ष की उम्र के बाद भी माता-पिता पर आश्रित रही हों, तो उन्हें पारिवारिक पेंशन का अधिकार मिलेगा।

2. दिव्यांग संतान:

  • यदि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है और आजीवन आश्रित रही है, तो उसे भी जीवनभर पारिवारिक पेंशन दी जाएगी।

🔸 इन दोनों ही स्थितियों में PPO में नाम पहले से जुड़ा होना अब अनिवार्य नहीं है।

🔹 मृत्यु के बाद की प्रक्रिया

अगर पेंशनर और उनके जीवनसाथी का देहांत हो चुका हो, और आश्रित संतान पारिवारिक पेंशन की मांग करे:

  • तब पेंशन स्वीकृति प्राधिकारी उसके आवेदन और पात्रता की विधिसम्मत जांच करेगा।
  • यदि दावा वैध पाया गया, तो मामला महालेखाकार कार्यालय, बिहार को भेजा जाएगा ताकि उसे पेंशन का लाभ मिल सके।

🔹 वित्त विभाग की सख्ती

कुछ विभाग PPO में नाम जोड़े बिना ही या बिना पात्रता की पुष्टि किए पेंशन स्वीकृति आदेश भेज रहे थे, जिसे महालेखाकार कार्यालय ने आपत्तिजनक माना है।

इसलिए सभी कार्यालयों को यह निर्देश दिया गया है कि:

  • पेंशन स्वीकृति आदेश जारी करते समय आय की स्थिति, आश्रितता का प्रमाण और वित्तीय नियमों का पूरा पालन किया जाए।

निष्कर्ष: संवेदनशीलता और सरलता की ओर एक मजबूत कदम

बिहार सरकार का यह कदम वास्तव में “Ease of Living” के उस विज़न को आगे बढ़ाता है, जहां एक वृद्ध मां-पिता या दिव्यांग संतान को अपने अधिकार के लिए संघर्ष न करना पड़े।

अब न PPO में नाम जोड़ने की भागदौड़, न महीनों की प्रतीक्षा…
बस पात्रता होनी चाहिए और उसका सही समय पर दावा।

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आदेश की कॉपी

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