देश में जब भी चुनाव नज़दीक आते हैं, केंद्र सरकार तरह-तरह की मुफ्त योजनाएं (मुफ्त राशन, गैस सिलेंडर, नकद सहायता) घोषित करती है। इन योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं और कहा जाता है कि “जनकल्याण सर्वोपरि है।”
लेकिन जब बात केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के 18 महीने के डीए/डीआर बकाया की आती है, तो सरकार बार-बार टालने का रवैया अपनाती है। यह स्पष्ट रूप से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के प्रति एक विरोधी सोच को दर्शाता है।
18 महीने का बकाया: कर्मचारियों का वैध हक़
कोरोना काल के दौरान जनवरी 2020 से जून 2021 तक कर्मचारियों और पेंशनर्स का महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) रोका गया था। बाद में DA/DR बहाल तो किया गया, लेकिन उन 18 महीनों का बकाया अब तक नहीं दिया गया।
जबकि यह पैसा कोई अनुग्रह नहीं, बल्कि कर्मचारियों और पेंशनर्स का वैध अधिकार है।
जब फंड की कोई कमी नहीं, तो बकाया क्यों नहीं?
सरकार यदि मुफ्त योजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, तो फिर कर्मचारियों और पेंशनर्स को उनका बकाया देने में आर्थिक संकट का बहाना क्यों? एक तरफ सरकार कहती है कि देश आर्थिक तौर पर जापान को पीछे करते हुए तीसरे नम्बर पे पहुँच चुका है तो फिर आर्थिक संकट का बहाना क्यों?
क्या यह सवाल उठाना गलत है:
- क्या वोटरों को लुभाना कर्मचारियों के हक़ से ज़्यादा ज़रूरी है?
- क्या सेवा करने वाले रिटायर्ड कर्मचारियों को ऐसे नज़रअंदाज़ करना न्याय है?
विशेष रूप से कम पेंशन पाने वालों की स्थिति चिंताजनक
इस समय कम पेंशन पाने वाले बुजुर्गों की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है। बढ़ती महंगाई, दवाइयों के खर्च और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बीच उन्हें दो वक्त की रोटी जुटाने में भी परेशानी हो रही है। ऐसे में 18 महीने का बकाया यदि मिल जाए, तो यह जीवनदायिनी राहत हो सकती है।
NC-JCM प्रतिनिधियों से अपेक्षा: अब आवाज़ बुलंद करें
राष्ट्रीय संयुक्त परामर्श तंत्र (NC-JCM) के प्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मुद्दे को मजबूती से सरकार के समक्ष उठाएं। यह मांग सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय से जुड़ी हुई है।
एक बार यूनियन अगर इस मुद्दे पर झुक गई तो उसे बार-बार हर मौके पे झुकना पड़ेगा, हो सकता है कि आनेवाले आठवे वेतन में ही झुकना पड़े, इसलिए 18 महीने एरियर की पुर जोर मांग रखनी चाहिए। 18 महीने का DA नहीं मिला तो आंदोलन की स्थिति तक जाना चाहिए।
निष्कर्ष: अब और चुप्पी नहीं
सरकार को यह समझना चाहिए कि कर्मचारियों और पेंशनर्स की उपेक्षा लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
18 महीने का DA/DR बकाया तुरंत जारी किया जाना चाहिए, ताकि न केवल उनके अधिकार की पूर्ति हो, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता भी बनी रहे।