नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 4 जून, 2025 को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में 13वीं पेंशन अदालत का आयोजन किया गया। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य पारिवारिक पेंशन से जुड़ी शिकायतों का त्वरित समाधान करना और पेंशनभोगियों को समय पर न्याय दिलाना था।
सरकार की प्रतिबद्धता: त्वरित निवारण और सम्मानजनक सेवा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘समग्र सरकारी दृष्टिकोण’ की सराहना करते हुए कहा कि पेंशन अदालतें सभी मंत्रालयों और विभागों को एक मंच पर लाकर शिकायतों के शीघ्र निवारण का मार्ग प्रशस्त करती हैं। यह पहल न केवल प्रशासनिक दक्षता को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि सरकार पेंशनभोगियों को समाज का सक्रिय और सम्माननीय सदस्य मानती है।
एक ही दिन में 415 में से 325 शिकायतों का समाधान
पेंशन अदालत में कुल 415 पारिवारिक पेंशन से संबंधित शिकायतें प्रस्तुत की गईं, जिनमें से 325 का मौके पर ही समाधान कर दिया गया। यह न्यायिक पहल 19 मंत्रालयों और विभागों—जैसे रक्षा, गृह, वित्त, वाणिज्य, रेलवे, विदेश, नागरिक उड्डयन आदि—के सहयोग से संभव हो पाई।
सफलता की कहानियां: संघर्ष से समाधान तक
1. श्री सुखविंदर सिंह का 14 वर्षों से लंबित भुगतान
रक्षा मंत्रालय से संबंधित श्री सुखविंदर सिंह की शिकायत 2010 से लंबित थी। उन्हें कुल ₹21.73 लाख की पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ मिलने थे। अधिकारियों ने अदालत में जानकारी दी कि ₹5.11 लाख पहले ही उनके खाते में जमा हो चुके हैं और शेष ₹16.89 लाख शीघ्र भुगतान किया जाएगा।
2. श्रीमती दीपा नयाल: वीर पत्नी को मिला न्याय
शहीद नायक महिमन सिंह पन्याल (शौर्य चक्र विजेता) की पत्नी दीपा नयाल का वीरता भत्ता दिसंबर 2023 से बंद कर दिया गया था। पीसीडीए अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि ₹1.20 लाख का बकाया 2 जून, 2025 को उनके खाते में जमा किया जा चुका है।
3. श्री चसाले विजय: लंबित अनुग्रह राशि का समाधान
सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त महाराष्ट्र निवासी श्री चसाले विजय को अगस्त 2022 से ₹8.60 लाख की अनुग्रह राशि नहीं मिली थी। पेंशन अदालत की मदद से राशि स्वीकृत की गई और भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई।
4. श्री सतेन्द्र सिंह: दिव्यांग नागरिक को मिली सहायता
राजस्थान निवासी दिव्यांग श्री सतेन्द्र सिंह के माता-पिता का देहांत हो चुका था। दस्तावेजों के अभाव के कारण मामला जटिल था, लेकिन अदालत की सहायता से ₹4.60 लाख की पारिवारिक पेंशन राशि स्वीकृत हुई।
5. श्रीमती फिरदौशी खातून: वीरगति को प्राप्त पति की पत्नी को मिला हक
बीएसएफ में कार्यरत उनके पति की 2012 में सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी। ₹15 लाख की अनुग्रह राशि उनके खाते में जमा की गई। यह प्रक्रिया पीआर सीसीए, एमएचए और बीएसएफ मुख्यालय के सहयोग से पूरी हुई।
भविष्य की दिशा: हर विभाग में हो शिकायत हेल्प डेस्क
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सुझाव दिया कि प्रत्येक विभाग और मंत्रालय में एक विशेष शिकायत हेल्प डेस्क स्थापित की जाए ताकि नागरिकों को यह विश्वास हो कि उनकी शिकायतें गंभीरता से सुनी और हल की जा रही हैं।
निष्कर्ष: पेंशनभोगियों के साथ सरकार की संवेदनशीलता
13वीं पेंशन अदालत यह सिद्ध करती है कि सरकार पेंशनभोगियों की समस्याओं को केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रखती, बल्कि जमीनी स्तर पर समाधान को प्राथमिकता देती है। यह पहल एक सशक्त और करुणामयी प्रशासन की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।
Agla pensan aadalat kab lagega
What about for the epf pension holder who had been working in private school. After 30 years only get 3000
यह अच्छी बात है किसी का हक रोक कर उसे 10 से १२,साल वित्तीय परेशानी में डाल देना और उसके बाद 10 से 12 साल के बाद बाहर राशि उसे देने की मंजूरी कर देना क्या उचित है । क्या सरकार 12 साल तक उसका हक क्यों नहीं दिया । यह गर कानूनी प्रक्रिया है उचित तो होता कि उस पैसे का 10 परसेंट इंटरेस्ट जोड़ कर सरकार देती तब तो खुशखबरी प्रसन्नता होती । यह कौन सु खुशखबरी है कि किसी का 10 या 15 लाख उसके हक का पैसे रोक लगा देना और उसे उसका पैसे 10 या 15 साल बाद देकर खुशखबरी एहसान जाहिर करना अनुचित रवैया है ।