EPS-95 पेंशन: 7500+ DA, वादे बहुत, हकीकत – आखिर कब मिलेगा न्याय? 8500+ DA खाते में

मोदी जी कहते हैं EPS-9500 मिलेगी, निर्मला सीतारमण जी बोलती हैं EPS-8500 तय है, और लेबर मिनिस्टर खुद 7500 की बात विज्ञापन में करते हैं। लेकिन ये रकम आखिर कब और कैसे पेंशनधारकों के खाते में आएगी?”

यह सवाल सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि लाखों EPS-95 पेंशनरों की पीड़ा है, जो पिछले तीन दशकों से एक सम्मानजनक जीवन की उम्मीद लगाए बैठे हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने 1984 से 1995 तक FPF (Family Pension Fund) में योगदान दिया, लेकिन आज तक उन्हें न तो उनका पैसा मिला, न उनका अधिकार। क्या 7,500 / 8,500 / 9,500 रुपये सिर्फ जुमले बनकर रह जाएंगे?

कहां गया 1984 से 1995 के बीच काटा गया पैसा?

16 नवंबर 1995 को जब EPS-95 योजना की शुरुआत हुई, तो FPF फंड को चुपचाप बंद कर दिया गया। उस समय EPFO चंडीगढ़ द्वारा अखबारों में विज्ञापन दिए गए थे कि “योगदान की गई राशि वापस की जाएगी”, लेकिन लगभग 50,000 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से लाखों पेंशनरों की धनराशि आज तक अटकी हुई है।

यह फंड किसी एक राज्य या कंपनी का नहीं, बल्कि पूरे देश के उन कर्मचारियों का है, जिन्होंने ईमानदारी से अपनी मेहनत की कमाई का हिस्सा काटा जाने दिया — सिर्फ इस भरोसे पर कि बुढ़ापे में सरकार उनका सहारा बनेगी।

PF का बोनस, पेनल्टी और बकाया – न्याय कब?

एक कर्मचारी की शिकायत के अनुसार:

  • 25 वर्षों की PF बोनस राशि आज तक नहीं मिली।
  • 35,000 रुपये की पेनल्टी, जो PF ऑफिस और लिक्विडेटर ऑफिस की देरी की वजह से जमा करवाई गई, उसकी कोई भरपाई नहीं हुई।
  • CIRP (Corporate Insolvency Resolution Process) के तहत 2024 में 90 लाख से अधिक की राशि आधिकारिक लिक्विडेटर द्वारा PF ऑफिस को भेजी गई, लेकिन अभी तक month-wise challan और ECR reconciliation रुकी हुई है।

EPFO चंडीगढ़ द्वारा भेजे गए जवाब में यह माना गया कि काम में देरी है और सभी मामलों को क्रम से निपटाया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है – कब तक?

सिस्टम की सुस्ती और पेंशनरों की जिंदगी

एक 65 वर्षीय पेंशनर की पीड़ा को हम कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं, जिसने ईमानदारी से अपनी सेवा दी, लेकिन अब न्याय के लिए सालों से दर-दर की ठोकरें खा रहा है?

आज जब एक क्लिक में GST जमा हो सकता है, आधार-पैन लिंक हो सकते हैं, तो फिर EPS-95 के पेंशनरों की पुरानी फाइलें और बकाया क्यों नहीं सुलझते?

सरकार और EPFO से अपील

माननीय श्रम मंत्री, कृपया EPS-95 पेंशनरों की स्थिति को प्राथमिकता पर लें। सिर्फ घोषणाएं और मंचों से वादे नहीं, बल्कि ठोस कार्यवाही की जरूरत है:

  • EPS-95 के सभी पेंशनरों को न्यूनतम ₹7500+DA पेंशन दी जाए।
  • 1984–1995 तक का FPF योगदान वापस किया जाए या उसका समुचित लाभ दिया जाए।
  • CIRP के तहत जमा राशि को शीघ्रताशीघ्र individual accounts से जोड़ा जाए।
  • EPFIGMS पर लंबित शिकायतों को fast-track किया जाए।

निष्कर्ष

आज EPS-95 पेंशनर सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार मांग रहे हैं। अगर हमने इस पीढ़ी की आवाज को नहीं सुना, तो ये सिर्फ एक आर्थिक अन्याय नहीं, बल्कि नैतिक विफलता भी होगी।

अब वक्त है कि सरकार और EPFO अपने वादों को निभाएं — और उन लोगों का हक लौटाएं, जिन्होंने अपना जीवन देश की सेवा में लगाया।

5 thoughts on “EPS-95 पेंशन: 7500+ DA, वादे बहुत, हकीकत – आखिर कब मिलेगा न्याय? 8500+ DA खाते में”

  1. बिलकुल सही बात है एनडीए सरकार आए ,11वर्ष हो चुके है इस बीच कितने परलोक सिधार गए होंगे वरिष्ठ नागरिकों का ख्याल करते सरकार को अविलंब न्यूनतम राशि इपीएस पेंशन95 के तहद बढ़ाना चाहिए लेकिन अनुभव के आधार पर इस सरकार के इस संबंध मे कार्य शैली से निराशा होती है अन्यथा राशि अब तक बढ़ जाती

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  2. Up sahe bath bala lakeg sarkar apna sachta hay a loge nps & ops ka bath nahe sun pa raha hay qka agar ham log a hath ma lagha to sarkar vash gayaga eseleya sarkar ko a sachna chaheya ok

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  3. Up sahe bath bala lakeg sarkar apna sachta hay a loge nps & ops ka bath nahe sun pa raha hay qka agar ham log a hath ma lagha to sarkar vash gayaga eseleya sarkar ko a sachna chaheya ok

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  4. Up sahe bath bala lakeg sarkar apna sachta hay a loge nps & ops ka bath nahe sun pa raha hay qka agar ham log a hath ma lagha to sarkar vash gayaga eseleya sarkar ko a sachna chaheya ok

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