1 जनवरी 2026 से बढ़ेगा फिक्स मेडिकल अलाउंस (FMA), 8वें वेतन आयोग के दायरे में हुआ शामिल

पेंशनभोगियों के लिए एक राहतभरी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने फिक्स मेडिकल अलाउंस (FMA) में बढ़ोतरी को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। यह फैसला हाल ही में आयोजित 34वीं SCOVA (Standing Committee of Voluntary Agencies) बैठक में लिया गया, जो कि 11 मार्च 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में हुई थी।

क्या है फिक्स मेडिकल अलाउंस?

फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस (FMA) वह राशि है जो केंद्र सरकार अपने रिटायर्ड कर्मचारियों को हर महीने मेडिकल खर्चों की भरपाई के लिए देती है। फिलहाल यह राशि ₹1000 प्रति माह है, जो कि बढ़ती दवाइयों और इलाज के खर्चों को देखते हुए काफी कम मानी जा रही थी।

SCOVA की बैठक में क्या हुआ?

बैठक की अध्यक्षता माननीय केंद्रीय राज्यमंत्री (कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन) ने की। बैठक में पेंशनभोगियों की ओर से फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस को बढ़ाने की मांग उठाई गई, जिसे विभाग ने गंभीरता से लिया।

  • पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoP&PW) ने बैठक में बताया कि संसद की स्थायी समिति ने भी FMA बढ़ाने की सिफारिश की है।
  • बैठक में यह निर्णय लिया गया कि फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस को ₹3000 प्रति माह किया जाएगा।

कब से लागू होगा नया फिक्स मेडिकल अलाउंस?

सरकार ने यह भी साफ किया है कि यह बढ़ा हुआ अलाउंस 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा। इसे 8वें वेतन आयोग के कार्यक्षेत्र (Terms of Reference) में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है, जिससे यह निर्णय पक्का और स्थायी रूप से वेतन संरचना का हिस्सा बन सकेगा।

इस निर्णय के क्या होंगे प्रभाव?

1. पेंशनरों को आर्थिक राहत

₹3000 प्रति माह की राशि सीधे पेंशनभोगियों के खाते में आएगी, जिससे उन्हें दवा, इलाज, और जांच जैसी जरूरी चीजों में मदद मिलेगी।

2. स्वास्थ्य खर्चों की वास्तविकता को स्वीकारा गया

सरकार ने इस निर्णय के माध्यम से यह मान लिया है कि आज के समय में स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हो चुकी हैं और पेंशन में मिलने वाला पुराना FMA काफी नहीं है।

3. भविष्य के वेतन आयोगों के लिए मार्ग प्रशस्त

FMA को 8वें वेतन आयोग के दायरे में शामिल करना यह दर्शाता है कि सरकार अब पेंशनरों की जरूरतों को लेकर अधिक गंभीर है और भविष्य में भी इन्हें ध्यान में रखा जाएगा।

निष्कर्ष

फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस में यह बढ़ोतरी लाखों पेंशनभोगियों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है। 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाला यह नया प्रावधान सरकार की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता को दर्शाता है। बढ़ती महंगाई और मेडिकल खर्चों के बीच यह निर्णय सही समय पर लिया गया कदम है, जो वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड कर्मचारियों की गरिमा और स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करेगा।

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