फिक्स मेडिकल अलाउंस (FMA) को लेकर SCOVA बैठक में बड़ा फैसला – FMA 3000, जानिए क्या हुआ तय

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में हाल ही में केंद्र सरकार और पेंशनर्स यूनियनों के प्रतिनिधियों की एक अहम बैठक आयोजित की गई। यह बैठक SCOVA (Standing Committee of Voluntary Agencies for Pensioners’ Welfare) के तहत बुलाई गई थी, जिसमें रिटायर्ड कर्मचारियों से जुड़े कई गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।

बैठक के दौरान जो मुद्दा सबसे ज़्यादा चर्चा में रहा, वह था – फिक्स मेडिकल अलाउंस (FMA) बढ़ाने की मांग। पेंशनर्स यूनियनों ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और सरकार से इसकी वर्तमान राशि को बढ़ाकर ₹3000 प्रतिमाह करने की सिफारिश की।

क्यों उठी FMA बढ़ाने की मांग?

वर्तमान में रिटायर्ड कर्मचारियों को ₹1000 प्रतिमाह फिक्स मेडिकल अलाउंस के रूप में दिया जाता है। यह राशि 1990 के दशक में तय की गई थी, लेकिन आज के समय में यह इलाज की बढ़ती लागतों को देखते हुए नाकाफी साबित हो रही है।

पेंशनर्स यूनियनों का कहना था कि:

  • महंगी होती दवाइयों और इलाज की लागत ने वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय हालत बिगाड़ दी है।
  • अधिकांश पेंशनर्स CGHS या सरकारी अस्पतालों की सुविधा से वंचित हैं।
  • ऐसे में यह छोटी सी राशि उनके लिए कोई राहत नहीं दे पा रही है।

क्या कहा केंद्र सरकार ने?

बैठक में जब यह मुद्दा उठाया गया, तो वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग (Department of Expenditure) ने स्पष्ट रूप से जानकारी दी कि:

“FMA बढ़ाने के इस मुद्दे को 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के Terms of Reference में शामिल किया जाएगा, आठवे वेतन आयोग में पेंशन बढ़ाने के FMA को भी बढ़ाया जाएगा”

इस बयान से यह संकेत मिला कि सरकार इस मांग को गंभीरता से ले रही है और इसका समाधान भविष्य में 8वें वेतन आयोग के माध्यम से किया जाएगा।

निर्णय: अभी के लिए मुद्दा किया गया बंद

सरकार की इस प्रतिक्रिया के बाद बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इस एजेंडा आइटम को फिलहाल “बंद (Closed)” माना जाएगा, लेकिन इसे पूरी तरह नकारा नहीं गया है। चूंकि इसे 8वें वेतन आयोग के TOR में शामिल किया जाएगा, इसलिए भविष्य में इस पर अमल की संभावना बनी हुई है।

निष्कर्ष

भले ही फिलहाल फिक्स मेडिकल अलाउंस बढ़ाने को लेकर कोई तात्कालिक घोषणा नहीं हुई हो, लेकिन यह साफ है कि सरकार ने इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया है।

8वें वेतन आयोग के गठन के समय इस विषय पर ठोस निर्णय लिया जाएगा। जब तक नई व्यवस्था नहीं आती, तब तक पेंशनर्स को थोड़े और इंतज़ार के लिए तैयार रहना होगा।

✍ लेखक: एन. डी. यादव

(सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और नीतिगत फैसलों से जुड़े विषयों पर लेखन में विशेषज्ञता)

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