18 महीने DA Arrear: देशभर के लाखों पेंशनर्स और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आने वाले दिन काफी अहम हो सकते हैं। पेंशनभोगी संगठनों की ओर से सरकार के सामने एक बार फिर चार अहम मांगें मजबूती से रखी गई हैं – 18 महीने का डीए एरियर, EPS पेंशन ₹7500 प्रतिमाह, फिक्स मेडिकल भत्ता ₹5000, और महंगाई भत्ते को मूल पेंशन में मर्ज करने की मांग।
ये चारों मुद्दे लंबे समय से पेंशनर्स और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बीच चर्चा में हैं, लेकिन अब संगठनों ने सरकार पर दबाव बनाना तेज कर दिया है।
1. 18 महीने का DA Arrear: अधूरी उम्मीदें अब भी ज़िंदा हैं
कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) को फ्रीज कर दिया था। इस दौरान लगभग 18 महीने का डीए एरियर नहीं दिया गया, जिससे करोड़ों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स प्रभावित हुए।
क्या चाहते हैं पेंशनर्स?
पेंशनर्स की मांग है कि उन्हें उस अवधि का एरियर एकमुश्त या किस्तों में दिया जाए, ताकि वे अपने आर्थिक बोझ को थोड़ा हल्का कर सकें।
2. EPS-95 पेंशनर्स को ₹7500 की न्यूनतम पेंशन और DA की मांग
EPS-95 योजना के तहत आने वाले पेंशनर्स को वर्तमान में बहुत ही कम राशि मिलती है – कहीं ₹1000 तो कहीं ₹2000 प्रतिमाह। इतनी कम पेंशन में जीवनयापन करना असंभव सा हो गया है।
राष्ट्रीय संघर्ष समिति और अन्य संगठन लगातार मांग कर रहे हैं कि:
- न्यूनतम पेंशन ₹7500 की जाए
- DA (Dearness Allowance) भी EPS पेंशन के साथ जोड़ा जाए
- CGHS जैसी मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं भी दी जाएं
3. FMA ₹1000 से बढ़ाकर ₹5000 करने की मांग
जो पेंशनर्स NON-CGHS एरिया में निवास करते है उन्हें फिक्स मेडिकल भत्ता (FMA) के तौर पर ₹1000 दिए जाते हैं। लेकिन आज की महंगाई में ये राशि नाकाफी है।
पेंशनर्स की राय:
“₹1000 में आजकल एक बार की दवा भी पूरी नहीं आती। सरकार को इसे कम से कम ₹5000 करना चाहिए।”
यह मांग न केवल तार्किक है बल्कि वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य और गरिमामय जीवन से भी जुड़ी है।
4. DA को मूल पेंशन में मर्ज करने की मांग
वर्षों से यह भी मांग की जा रही है कि 50% DA को मूल पेंशन में मर्ज कर दिया जाए। इससे पेंशन की बेसिक राशि में वृद्धि होगी और आनेवाले आठवे वेतन आयोग में भी उसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
क्या होगा फायदा?
- पेंशनर्स की आय स्थिर और सम्मानजनक होगी
- DA में बढ़ोतरी का असर अधिक प्रभावी होगा
- पेंशनर्स को वास्तविक लाभ मिलेगा
सरकार की चुप्पी या तैयारी?
फिलहाल सरकार ने इन मांगों पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है, लेकिन संगठन लगातार ज्ञापन दे रहे हैं, धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और राजनीतिक समर्थन भी जुटा रहे हैं। माना जा रहा है कि 2025 में सरकार इन मुद्दों पर फैसला ले सकती है।
निष्कर्ष:
इन चारों मांगों में न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक न्याय और सम्मान का सवाल भी जुड़ा है। वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनर्स ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा देश की सेवा में बिताया है। अब सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि उन्हें उनके अधिकार और सम्मान दोनों मिलें।
आशा है कि आने वाले समय में ये मांगें सिर्फ कागज़ों पर नहीं रहेंगी, बल्कि ज़मीन पर भी नज़र आएंगी।

मेरा नाम एन. डी. यादव है। मुझे लेखन के क्षेत्र में 6 वर्षों का अनुभव है। मैंने अपने लेखनी के दौरान सरकारी नीतियों, कर्मचारियों और पेन्शनभोगियो के लाभ, पेंशन योजनाओं और जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों को आप तक सरल और स्पष्ट भाषा में पहुंचाने का कार्य किया है।
मेरे लेखों का उद्देश्य लोगों को सही, सटीक और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना है। मैं अपने लेख में हमेशा यह प्रयास करता हूं कि भाषा सरल हो, जानकारी उपयोगी हो और पाठक को किसी भी विषय को समझने में कठिनाई न हो।
18 Mahina ka arrear DA and DR ek musta Pensioners ko dene ka bichar Modi Sarkar be jalda se jalda Nishpati le kahe ki bahu der ho chka hai aur sarkar koi na koi bahan dekhate hue der lagati hey Jo ki swalpa pension bhogi ko bahut sa arthik samashya hota hey. Agar arthik samashya sarkar ko hey to regular employees ka arrear GPF deposit Kiya hai jo agle sarkar ka time main hota tha.