बिग ब्रेकिंग, पेंशनभोगी के खाते में आये 12 लाख रुपये, आप भी अपना पैसा मंगाये, PPO

देश के लिए अपने जीवन का अमूल्य समय देने वाले श्री शैलेंद्र यादव, भारतीय सेना के पूर्व सिपाही थे, उनका PPO जारी होने के बाद भी लंबा संघर्ष करना पड़ा। आपको बता दे कि वे 28 फरवरी 2024 को रिटायर हुए। रिटायर होने के 1 वर्ष बाद भी उनको कम्युटेशन का पैसा नही मिला। 12.59 लाख रुपये पाने के लिए पूरे एक साल तक लंबा संघर्ष किया फिर जाके उनको सफलता मिली। क्या था पूरा माजरा चलिए विस्तार से समझ लेते है।

PPO जारी होने के बावजूद अटकी रही राशि

फरवरी 2024 में सेवानिवृत्ति के समय ही श्री यादव ने पेंशन कम्युटेशन के लिए आवेदन किया था। विभाग ने संशोधित PPO सितंबर 2024 में जारी भी कर दिया, लेकिन इसके बावजूद राशि उनके खाते में नहीं आई। यह स्थिति एक उदाहरण है कि किस प्रकार तकनीकी कार्यवाही और प्रशासनिक ढिलाई पेंशनभोगियों के लिए मानसिक और आर्थिक बोझ बन जाती है।

शिकायतें दर शिकायतें, समाधान नहीं

श्री यादव ने कई मंचों पर शिकायतें दर्ज कीं — लेकिन हर जगह से उन्हें सिर्फ इंतजार और आश्वासन मिला।
कभी बैंक की असमर्थता, कभी रिकॉर्ड्स में देरी – लेकिन हक की रकम मिल नहीं रही थी।

CPENGRAMS बना आखिरी सहारा

आखिरकार उन्होंने CPENGRAMS पोर्टल पर शिकायत संख्या DOPPW/E/2025/0007249 के तहत मामला दर्ज कराया। यहीं से उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया गया, और पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) ने व्यक्तिगत रूप से केस को फ्लैग कर के प्राथमिकता के आधार पर निपटाया

1 साल बाद मिला ₹12.59 लाख का भुगतान

लगातार फॉलोअप, विभागीय समन्वय और CPENGRAMS पोर्टल पर निगरानी के चलते आखिरकार श्री शैलेंद्र यादव को एक साल बाद उनकी ₹12.59 लाख की पेंशन कम्युटेशन राशि प्राप्त हो गई। यह सिर्फ एक भुगतान नहीं था — यह उनके सम्मान, सहनशीलता और संघर्ष की जीत थी।

पेंशन अदालत की रिपोर्ट का हिस्सा

यह केस 4 जून 2025 को आयोजित 13वीं पेंशन अदालत में प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि सिस्टम में सक्रियता और जवाबदेही हो तो पेंशनभोगियों की समस्या का समय पर समाधान संभव है।
DoPPW की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 के अंत तक 11,817 पेंशन संबंधी शिकायतें और 2,189 PPO लंबित थे।

यह सिर्फ एक केस नहीं, एक चेतावनी है

श्री यादव का मामला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि यदि डिजिटल प्लेटफॉर्म, अधिकारी और विभाग मिलकर काम करें, तो पेंशनभोगियों को अपना हक पाने के लिए सालों इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

निष्कर्ष:

हर पेंशनर का अधिकार है कि उसे उसकी पूरी पेंशन समय पर और सम्मान के साथ मिले। शैलेंद्र यादव जैसे सैनिकों का संघर्ष हमें यह याद दिलाता है कि न्याय संभव है, बस सिस्टम को जागना होगा।अगर इस प्रकार की आपकी भी समस्या है तो आप भी CPENGRAMS पोर्टल में शिकायत दर्ज कराके समाधान पा सकते है।

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